कहर कोरोना का
जिंदगी हादसों की शिकार हो गईं
चन्द रोज की यहां मेहमान हो गई।
न कोई आता है न कोई जाता है
सड़के कितनी सुनसान हो गई ।
सहमा -सहमा सा है हर एक मन
दूर रहने की शर्ते साथ हो गई ।
कोरोना का ढाया ऐसा कहर
आज की जिंदगी बर्बाद हो गई ।
कब पायेंगे निजात इस आफत से
यही फिक्र अब तो दिन रात हो गई ।
आया है जब से कोरोना दुनिया में
अरमानों की दुनिया राख हो गई ।
टिप्पणियाँ
Sabke man ki bat kah dalsunder
अरमानों की दुनिया राख हो गई ।
सच है !