बचपन की तस्वीरे
 बीते दिनो की हर बात निराली लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है .  पहली बारिश की बूंदो मे  मिलकर खूब नहाते थे ,  ढेरो ओले के टुकड़े को  बिन बिन कर ले आते थे .  इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै .  सावन के आते ही पेड़ो पर  झूले पड़ जाते थे ,  बारिश के  पानी मे बच्चे  कागज की नाव बहाते थे ,  बिना सवारी  की वो नाव भी अच्छी लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है । पल में रूठना पल में मान  जाना  बात बात में मुँह का फुल जाना , जिद्द में अपनी बात मनवाना  हक से सारा सामान जुटाना , खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।। कच्ची मिट्टी की काया थी  मन मे लोभ न माया थी , स्नेह की बहती धारा थी  आशीषों की सर पर छाया थी , चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है  बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।