शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

बचपन की तस्वीरे

बीते दिनो की हर बात निराली लगती है
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है .
पहली बारिश की बूंदो मे
मिलकर खूब नहाते थे ,
ढेरो ओले के टुकड़े को
बिन बिन कर ले आते थे .
इन बातो मे शैतानी जरूर झलकती है
 बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती हैै .
सावन के आते ही पेड़ो पर
झूले पड़ जाते थे ,
बारिश के  पानी मे बच्चे
कागज की नाव बहाते थे ,
बिना सवारी  की वो नाव भी अच्छी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।
पल में रूठना पल में मान  जाना 
बात बात में मुँह का फुल जाना ,
जिद्द में अपनी बात मनवाना 
हक से सारा सामान जुटाना ,
खट्टी मीठी बातों की हर याद प्यारी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।।
कच्ची मिट्टी की काया थी 
मन मे लोभ न माया थी ,
स्नेह की बहती धारा थी 
आशीषों की सर पर छाया थी ,
चिंता रहित बहुत ही मासूम सी जिंदगी लगती है 
बचपन की हर तस्वीर सुहानी लगती है ।





रविवार, 19 अप्रैल 2015

मन के मोती

हर फिक्र से आजाद हम होने लगे है ,
सोचने सबके लिए अब कम लगे है .
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शिकायतो मे ही हमेशा जिन्दगी
बसर करना अच्छा नही ,
लौटकर नही आता यहॉ फिर
जो गुजर जाता हैै वक्त कभी .


मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

सालगिरह पर

आज का दिन ही ऐसा है जो हमे
लिखने को मजबूर कर रहा है ,
क्योकि हमारी जिन्दगी से ये
एक बर्ष को दूर कर रहा है .
जो आती है चीज यहॉ वो जाती भी है
इसे बयां हमारा  दस्तूर कर रहा है .