रविवार, 30 जनवरी 2011

बदलते रंग


रुख हवाओ का बदला तो
सब कुछ बदल गया ,
दिशा बदल गयी
रास्ते बदल गये ,
ख्वाहिशो के रंग उतरकर
नये रंगों में ढल गये ,
सूरते भी आईने में
बदलती नज़र आई ,
रिश्तो के मायने
नई भूमिका सजाई ,
मोटे -मोटे अक्षरों को
हमने रेखांकित किया ,
और हर शब्द को
व्याख्यायित किया

मंगलवार, 25 जनवरी 2011

आशाओ के दीप जलाये


हर बार ये कहते आये है
हर बार ये सुनते आये है ,
इस तिरंगे के नीचे हमने
बहुत से प्रण उठाये है
पर इस पर्व के जाते ही
हम सब बिसर जाते है ,
सिर्फ कोरे वादे करके ही
सच्चे देशभक्त बन जाते है
अपने वीरो जैसा जुनून
हम क्यों नही पैदा कर पाये ,
जो
देकर आहुति प्राणों की
इस देश की जान बचाये
धरती माँ के पोछे आंसू
सीना छलनी होने से बचाये ,
बनके उनके सच्चे सपूत
जीवन को सफल बनाये
हो हरियाली इस धरती पर
आशाओ के दीप जलाये
जय हिंद
सभी बंधुओ को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई ,सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारामजहब नही सिखाता आपस में बैर रखना ,प्राण मित्रो भले ही गवाना ,पर झंडा ये नीचे झुकानावन्दे मातरम् वन्दे मातरम वन्दे मातरम्

सोमवार, 10 जनवरी 2011

आधुनिकता ........


आधुनिकता परिधानों में नही
आधुनिकता दिखावे में नही ,
आधुनिकता झलकती है
अपने विचारो से ,
आधुनिकता दिखती है
अपने व्यवहारों में ,
आधुनिकता सुसंस्कार में
आधुनिकता पावन प्यार में
अश्लीलता से सर झुकता है
अभद्रता से रिश्ता टूटता है ,
रेशमी परदे से हालात ढकते नही
कर्जो पर शान -शौकत टिकते नही ,
शालीनता में रहकर शिष्टता निभाये
अपनी सुसंस्कृति को आगे बढ़ाये ,
धर्म के नाम पर झंडे लगाये
जाति -पाति पर सवाल उठाये
जहाँ भूख बिलखती है
दो रोटी के आस में ,
पेट को वो ढकती है
अपने दोनों पाँव से ,
लाचार खड़ा होता है
आदमी जहाँ इलाज में ,
घर छीन लिया जाता
जहाँ वृद्धों के हाथ से ,
भेदभाव पनपते है यहाँ
अमीरी -गरीबी से ,
इमानदारी खरीद ली जाती
नोटों की गड्डी से
हालात जिस देश के हो इतने गरीब
बेचकर इंसानियत और जमीर ,
हम कैसे कह सकते है कि
हम है यहाँ आधुनिक