शनिवार, 30 अप्रैल 2011


अब गूंगे का जमाना नही

शोर शराबे का है ,

लाठी चलाओ

हल्ला मचाओ

जबरदस्ती काम बनबाओ ,

यदि कोई सज्जन विरोध कर

ये कहे

अरे भाई क्या गुंडागर्दी है ?

तभी बड़े रौब से

सीना तानकर कहो

जनाब

ये हमारा हक है

बस उसी का

इस्तेमाल कर रहें है ,

आप फिजूल में ही

एतराज कर रहें है ।

20 टिप्‍पणियां:

रचना दीक्षित ने कहा…

अच्छा व्यंग किया है. सचमुच आजकल विरोध प्रदर्शन इसी प्रकार हो रहें है. हालांकि इसके लिए बहुत हद तक तंत्र भी जिम्मेदार है. जबतक कोई बात सीधे ढंग से की जाती है, उसका कोई भी असर किसी पर होता ही नहीं है. शोर हुडदंग तोड़फोड़ करने पर ही कुछ उम्मीद जगती है शायद कुम्भकर्ण स्टायल. गंभीर विषय.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शोर मचाने वाले की ही सुनी जाती है।

Deepak Saini ने कहा…

सही कहा आपने ऐसे ही लोगो का जमाना है

सच यदि शालीनता से कहो तो कोई नहीं मानता
और शोर व् हल्ला दे कर झूठ भी कहो तो सब मान लेते है

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

वाह क्या बात है !

राज भाटिय़ा ने कहा…

शरीफ़ ओर सीधे आदमी की ्तो कभी नही चली, जो आज चले,शोर मचाओ, तभी सुनते हे ऊपर वाले, बहुत सुंदर रचना, धन्य्वाद

pramod kush ' tanha' ने कहा…

khoob likha hai...

devendra gautam ने कहा…

आज हर नागरिक में इस जज्बे, इस समझ की जरूरत है
----देवेंद्र गौतम

kshama ने कहा…

Kitni saral,seedhee bhasha ma wyang kar dala!

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

वाह! बहुत बढिया.

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

ज्योति जी, आपके भाव बहुत अच्छे हैं

वैसे एक शायर यूं भी फ़रमाते हैं-
इस दौर में जीना है तो कोहराम मचा दे
खामोश मिज़ाजी तुझे जीने नहीं देगी.

और हफ़ीज़ मेरठी साहब ये कह गए हैं

इल्तजा तो कोई भी सुनता नहीं
क्या करें, हम बेअदब हो जाएं क्या?

इन सबके बावजूद समाज में शांति ज़रुरी है और आपने एक सार्थक संदेश दिया है... बधाई.

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

jyoti ji
kya khoob kataxh kiya hai .sach me ab yahi jamana aagaya hai.
kahte hai jiski lathi usi ki bhains .
bilkul aapki rachna par charitaarth hoti hai
bahut hi badhiya prastuti
badhai v dhanyvaad
poonam

Satish Saxena ने कहा…

नया अंदाज़ ....अच्छा लगा :-)
शुभकामनायें आपको !!

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

कम शब्दों में सटीक बात कही आपने...... हो तो यही रहा है....

Alpana Verma ने कहा…

सच कहती हैं ...आज बोले बिना गुज़ारा नहीं ...

Apanatva ने कहा…

aaj ka sach yahee hai .sashakt lekhan.

accha laga aapka sath pakar .
Aabhar

Kunwar Kusumesh ने कहा…

हालात तो यही हैं,ज्योति जी.

निर्झर'नीर ने कहा…

तल्ख़ हकीक़त को आपने शब्द दिए है .

मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य है.

आपके ये शब्द बहुत सुकून देते ही जब भी आपके ब्लॉग तक आना होता है कई कई बार इसे पढता हूँ ,,दिल में सौभाग्यशाली होने की आरज़ू सी उठती है.

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर और शानदार रचना प्रस्तुत किया है आपने! उम्दा पोस्ट!

Dr Varsha Singh ने कहा…

वाह..क्या खूब ...करारा व्यंग.....

Richa P Madhwani ने कहा…

शरीफ़ ओर सीधे आदमी की तो कभी नही चली, शोर मचाने वाले की ही सुनी जाती है। :(