कुछ मन की
जिंदगी वफ़ा की सूरत
जब इख्तियार करती है
हर कदम पर तब नए
इम्तिहान से गुजरती है .
.................................
कितनी सुबह निकल गई
कितनी राते गुजर गई
कुछ बाते पहली तारीख सी
आज भी है यही कही .
''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''''
मंजिल इतनी आसान होती
तो क्योकर तलाशते
क्यों उम्र अपनी सारी
यू दाव पर लगाते .
;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
जो मजा सफ़र में है
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
टिप्पणियाँ
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
सुंदर पंक्तियाँ..... जीवन चलने नाम ही है शायद
वो मंजिल में कहाँ
पर जब अनाहूत किसी की मंजिल पर अनायास कब्जा कर लेते हैं तो ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
वो मंजिल में कहाँ
..इक रास्ता है ज़िंदगी , जो थम गए तो कुछ नहीं!
सभी पंक्तियाँ बहुत अच्छी हैं ।
वो मंजिल में कहाँ
आपने बिलकुल सही लिखा है !
बेहतरीन शब्द सामर्थ्य युक्त इस रचना के लिए आभार !!
किन्तु शायद मजा दोनों का अलग अलग है
जीवन चलने का नाम , चलना ही जिन्दगी है रुकना है मौत अपनी
हार्दिक बधाई।
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
बहुत सुन्दर भाव्।
सब कुछ पाकर यहाँ .
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
जिन्दगी की सुन्दर अभिव्यक्ति.जिंदगी का सफर थमते ही सब थम जाता है. सुंदर कविता के लिए बधाई.
badhai
saader
rachana
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
बहुत खूब! हरेक प्रस्तुति बहुत सुन्दर..
बहुत अच्छी लगीं ये पंकतिया. इस हेतु आपको साधुवाद.
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ ।
चलते रहना ही जिंदगी है।
बहुत अच्छे भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।
aapake dono blog ko follow kar raha hun
bahut khoob likhati hain aap
nice blog
mere blog par bhi aaiyega aur pasand aaye to follow kariyega
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
बिल्कुल सच्ची बात है इन पंक्तियों में ।
aapko padh kar accha laga ma'am!!
जब इख्तियार करती है
हर कदम पर तब नए
इम्तिहान से गुजरती है...
वाह...हर एक रचना बहुत सुंदर है.
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
जीवन के विविध भावों से सजी यह कविता बहुत प्रेरक है ....सच में मंजिल को पाने के लिए चलना आवशयक है ..और जब हम मंजिल को पा जाते हैं तो रुकना सही नहीं जिन्दगी चलते रहने का नाम है .....आपका आभार इस सार्थक रचना के लिए ..!
- विजय
वो मंजिल में कहाँ
थम जाती है जिंदगी
सब कुछ पाकर यहाँ .
bahut bahut sunder abhivykti .
ज्योति जी,आप की निर्मल 'ज्योत' यू हीं प्रकाशित करती रहें अंतर्मन को.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
सब कुछ पाकर यहाँ .
.........बहुत सुन्दर भाव्।