सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं
वैसा कुछ भी नहीं रहा
वैसा कुछ भी नहीं रहा यहाँ
जैसा पहले हुआ करता रहा यहाँ
वक़्त के दरिया में कल बह गया
आज हर किसी का बदला हुआ है यहाँ 1
वक़्त की मांगे करवटे लेती रहती है
उम्मीदे बहुत कुछ बदल देती है यहाँ
आगाज़ से बहुत अलग अंजाम होता है
रिश्ते बनते है जैसे वैसे रहते नहीं यहाँ 1
टिप्पणियाँ
Kavita bhi acchee bhaavon bhari laaayi ho..
sach waqt bahut kuchh badal deta hai.
sunder prastuti.
....बहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट
संजय भास्कर
शब्दों की मुस्कुराहट
http://sanjaybhaskar.blogspot.com