रविवार, 20 अक्तूबर 2013

मोहब्बत .........

मोहब्बत   में  आदमी  जीता  कम 
मरता  ज्यादा  है  ,

पाने  से  अधिक  खोने  के  लिए  
डरता  ज्यादा  है  ,

यकीं  कम  ,उम्मीद  के  सहारे  
चलता  ज्यादा  है  ,

तभी  संभल  नही  पाता  और 
गिरता  ज्यादा  है  । 


8 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर रचना !काफी दिनों बाद आपकी पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा,नियमित लिखती रहे,,

RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक बात लिखी है ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बात तो सच कही है आपने ... पर मुहब्बत पे बस कहां होता है ... ये रोग तो आप ही लग जाता है ...

इस्मत ज़ैदी ने कहा…

बहुत सुंदर रचना है ज्योति
और हाँ बहुत बहुत बधाई हो ,,सुना है नानी बन गईं :)

Alpana Verma ने कहा…

बड़ी सच्ची बात लिखी है ज्योति !
[नानी बनने की बधाई!]

शोभना चौरे ने कहा…

bahut dino bad apko padha .kasi hai aap?

महेश सोनी ने कहा…

behtarin

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

ज्योति जी , सरसपायस से ही आपको जाना था आज वहीं से आपके ब्लाग का पता चला है । अच्छा लगा । कविता सुन्दर है । दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ।