इस खलिश को दूर खुद की करना होता है ... जो है उसे पान जरूर चाहिए ... सफर एक हो सके ऐसा प्रयास होना चाहिए ...
मनचाहा नही मिलता हमेशा । ऐसे में टीस तो रहती है । और कविता बन जाती है ।
apna socha hota kahan hai bas tis hi rah jati hairachana
वाह...सुन्दर कविता. लिखती रहो..
वाह ! बहुत बढ़िया प्रस्तुति . आभार . नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .कृ्प्या विसिट करें : http://swapniljewels.blogspot.in/2014/01/blog-post_5.htmlhttp://swapniljewels.blogspot.in/2013/12/blog-post.html
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5 टिप्पणियां:
इस खलिश को दूर खुद की करना होता है ... जो है उसे पान जरूर चाहिए ... सफर एक हो सके ऐसा प्रयास होना चाहिए ...
मनचाहा नही मिलता हमेशा । ऐसे में टीस तो रहती है । और कविता बन जाती है ।
apna socha hota kahan hai bas tis hi rah jati hai
rachana
वाह...सुन्दर कविता. लिखती रहो..
वाह ! बहुत बढ़िया प्रस्तुति . आभार . नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं .
कृ्प्या विसिट करें : http://swapniljewels.blogspot.in/2014/01/blog-post_5.html
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