मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

सालगिरह पर

आज का दिन ही ऐसा है जो हमे
लिखने को मजबूर कर रहा है ,
क्योकि हमारी जिन्दगी से ये
एक बर्ष को दूर कर रहा है .
जो आती है चीज यहॉ वो जाती भी है
इसे बयां हमारा  दस्तूर कर रहा है .

3 टिप्‍पणियां:

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

साल तो जाते रहेंगे ज्योति जी ,जाने की बात क्यों ? आज का दिन मुबारक दिन है . इस सुन्दर दुनिया में आने का दिन . सो ढेर सारी बधाइयां . शुभकामनाएं .

संजय भास्‍कर ने कहा…

अरे वाह ढेर सारी बधाई

रचना दीक्षित ने कहा…

देर से ही सही बधाई स्वीकारें