मन के मोती

किस वादे पर  इंसान कर बैठा नफरत

करके कोई पहल इसे मिटा क्यों नहीं देते ,

क्यों पैदा करते है दिलो में ऐसी हसरत

जो सब कुछ आकर यहाँ उजार है देते ।
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आदमी जिंदगी के जंगल में

अपना ही करता शिकार है ,

फैलाता है औरो के लिये जाल

और फंसता खुद हर बार है ।
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छोटे छोटे कदम ही लंबे लम्बे  सफर तय किया करते है,
मंजिल के नजदीक पहुँच कर सफलता को चूमा करते है ।

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
बहुत ही उच्च श्रेणी की कविता नमन
ज्योति सिंह ने कहा…
बहुत बहुत शुक्रिया सर

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