शुक्रवार, 23 मार्च 2018

अधूरे रहे

फिर से बच्चा बनना है
बड़े होने पर सोचते रहे ,

बड़े होने की जल्दी रही
जब हम बच्चे रहे ।
 
जो आसान  नजर आया
वही रास्ता नापते रहे ,

हर वक्त जिम्मेदारियों से
हम दूर भागते रहे ।

जो नहीं होता है उसी की
हम चाहत रखते रहे ,

यही वजह है हुए पूरे नहीं
हम अधूरे रहे ।

3 टिप्‍पणियां:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत बढ़िया ..

ज्योति सिंह ने कहा…

शुक्रियां ,लेकिन गलती तो बताओ ,ताकि ठीक कर लूँ ,

ज्योति सिंह ने कहा…

बदलना तो नहीं