दर्द

आहिस्ता - आहिस्ता

दर्द घर में

पैर जमाता रहा _

और कुछ हल्की

कुछ गहरी छाप

अपनी शक्ल की

छोड़ता रहा ।

हम इसकी आमद से

घबराते रहे ,

ये अपना राज

फैलाता रहा ।



टिप्पणियाँ

VenuS "ज़ोया" ने कहा…
सुंदर सरल सार्थक रचना
बधाई
Jyoti Singh ने कहा…
शुक्रिया जोया जी
Alaknanda Singh ने कहा…
बहुत खूबसूरती से द‍िल की बात बयां करती पंक्त‍ियां ... बहुत खूब ज्योत‍ि जी
Jyoti Singh ने कहा…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ,हृदय से आभार प्रकट करती हूं
दर्द ऐसा ही होता है ...
जब तक एहसास होता है ये फ़ैल जाता है ...
गहरे भाव ...
Enoxo ने कहा…
" विडीओ ब्लॉग पंच में आपके एक ब्लॉगपोस्ट की शानदार चर्चा विडीओ ब्लॉग पंच 5 के एपिसोड में की गई है । "

" जिसमे हमने 5 ब्लॉग लिंक पर चर्चा की है और उसमें से बेस्ट ब्लॉग चुना जाएगा , याद रहे पाठको के द्वारा वहाँ पर की गई कमेंट के आधार पर ही बेस्ट ब्लॉग पंच चुना जाएगा । "

" आपको बताना हमारा फर्ज है की चर्चा की गई 5 लिंक में से एक ब्लॉग आपका भी है । तो कीजिये अपनो के साथ इस वीडियो ब्लॉग की लिंक शेयर और जीतिए बेस्ट ब्लॉगर का ब्लॉग पंच "

" ब्लॉग पंच का उद्देश्य मात्र यही है कि आपके ब्लॉग पर अधिक पाठक आये और अच्छे पाठको को अच्छी पोस्ट पढ़ने मीले । "

विडीओ ब्लॉग पंच 4 के एपिसोड में आपने देखा
विडीओ ब्लॉग पंच 4

विडीओ ब्लॉग पंच 5 की चर्चा हमने हमारे ब्लॉग पर भी की है शून्य में शून्य और विडीओ ब्लॉग पंच 5

एक बार पधारकर आपकी अमूल्य कमेंट जरूर दे

आपका अपना
Enoxo multimedia
बहुत ही अच्छी रचना
Jyoti Singh ने कहा…
धन्यवाद रश्मि जी ,बहुत बहुत आभारी हूँ ,नमस्कार आपको
Pallavi saxena ने कहा…
सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
Jyoti Singh ने कहा…
धन्यवाद पल्लवी जी

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