एक अजीब बाजार है दुनिया
एक अजीब बाजार है दुनिया
जिंदगी की खरीदार है दुनिया,
मोल खुशी का है नही कोई
गम की हिस्सेदार है दुनिया,
सच की कीमत को न समझे
झूठ का करती व्यापार है दुनिया,
सौदा करने का ढंग न आये
हिसाब मे बड़ी बेकार है दुनिया,
रिश्तों की पहचान है मुश्किल
रहस्य भरी किरदार है दुनिया,
समझदारों की कमी नहीं है
फिर क्यों नही समझदार है दुनिया,
राह है सीधी ,सफर है मुश्किल
कैसी ये बरखुरदार है दुनिया ।
टिप्पणियाँ
आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 29-01-2021) को
"जन-जन के उन्नायक"(चर्चा अंक- 3961) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
मोल खुशी का है नही कोई
गम की हिस्सेदार है दुनिया..वाह!👌
फिर क्यों नही समझदार है दुनिया,
बहुत ही सटीक अभिव्यक्ति।