ब्लोगर बंधुओ के नाम
कब किससे कैसे कहें
अपने दिल की बात ,
इन सारी बातों से
हम सभी हुए आजाद ।
एक साथी ब्लौग है,
दूजी कलम है पास ।
जीवन के हर रंग में
एक दूजे के साथ ,
सारी दुनिया जोड़ के
तनहा नहीं कोई आज ।
एक ही जाल बुन रहा
सुंदर सुखद समाज ।
यहाँ न किसी का शोर है
और ना मन पे ज़ोर ,
खुले आकाश में उड़ रही
आज पतंग निसोच ,
उस के रास्ते काटने
आएगा नहीं कोई और ।
इन्द्र -धनुष के रंगों से
हो रही यहाँ मुलाक़ात ,
मंजिल के साथ ही मानो
चल रहे सब आज ।
टिप्पणियाँ
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस
सच कहा ज्योति जी, अब तो क़लम की जगह नेट, और ब्लागर साथियों का समर्थन, आपसी जुड़ाव ने अलग ही संसार बना लिया है.
aapkee vichardhara ke sath hee hai ham.....
यदि ब्लॉगिंग सुखद स्वप्न की तरह है तो उसे कविता के माध्यम से बखूबी व्यक्त किया है ।
khoobsurat anubhooti karwa gayi aapki kavita..
aabhaar..