एक दूजे का साथ जरूरी है ........


महिलाओ को एक दूजे का
साथ जरूरी है
,

हक -सम्मान का आपस में
लेन -देन जरूरी है ।

तभी मिटेगी किस्मत की
अँधेरी तस्वीर ,

धो देगा मन के सभी मैल
संगम धारा का नीर ।

फूट पड़ेगी धारा
प्रीत की रीत से ,

बदल देगी हर तस्वीर
संगठन की जीत से ।

हर राह सुलभ हो जायेगी
एकता की जंजीर से ,

अरमानो के फूल खिलेंगे
सुखे हुए हर पेड़ से ।

नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा

मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?
............................................
महिला दिवस की सबको बधाई इन पंक्तियों के साथ
एक पल ठहरे जहां जग हो अभय
खोज करती हूँ उसी आधार की ।

टिप्पणियाँ

Deepak Saini ने कहा…
sahi baat nari ko nari se behtar kaun samajh sakta hai
sundar rachna
Alpana Verma ने कहा…
नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा

मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?

-क्या बात है ! वाह!बहुत सही लिखा है ज्योति आप ने..
बहुत अच्छी कविता है.
-महिला दिवस मुबारक हो.
इस्मत ज़ैदी ने कहा…
बदल देगी हर तस्वीर
संगठन की जीत से ।

हर राह सुलभ हो जायेगी
एकता की जंजीर से ,

बहुत बढिया !
नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा

बस यही समझना ज़रूरी है..... बहुत अर्थपूर्ण
Rajesh Kumar 'Nachiketa' ने कहा…
बहुत ही साफ़ शब्दों में सब कुछ कहा आपने. सब लोग समझें इसको फिर एक बेहतर समाज बने...
बहुत सुन्दर रचना !
मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?
बिलकुल सही बात है ... पर भारतीय समाज में यह नहीं हो रहा है !
एक पल ठहरे जहां जग हो अभय
खोज करती हूँ उसी आधार की ।

हमारी भी यही मनोकामना है. महिला दिवस पर आपको बहुत बधाई.
मनोज कुमार ने कहा…
सामयिक और विचारोत्तेजक पोस्ट।
naari se behtar nari ko samajhna kisi ke haath nahi aur yahi saath manzil nishchit karti hai... shubhkamnayen
bahut pyari si rachna...!! mahila diwas ka mubarakhbaad!
Dr (Miss) Sharad Singh ने कहा…
नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा
मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?.....

बहुत सुन्दर कविता....
बहुत सुन्दर आकांक्षा....
अवश्य फलीभूत होगी...
भावपूर्ण काव्यपंक्तियों के लिए कोटिश: बधाई !
jyoti ji
bahut hi sundar avam ek alag tarah ki utkritsht prastuti.bahut sateek aur utsaah -vardhak post .sach nari shakti ka to dev-gan bhi loha mante hain .to bhala unko koi kab tak hara payega --------
behatreen kavita
badhai
poonam
बस यही सशक्तीकरण का आधार हो, एक दूसरे का आधार।
मदन शर्मा ने कहा…
हर राह सुलभ हो जायेगी
एकता की जंजीर से ,
वाह!क्या बात है!
बहुत सही लिखा है ज्योति जी आप ने..
बहुत अच्छी कविता.....
महिला दिवस मुबारक हो.
समाज में बढ़ते महिलाओं पर अत्याचार को रोकने के लिए महिलाओं को पूरी तरह शिक्षित करना ही होगा, उन्हें जिन्दगी के हर प्रतियोगिता में बढ़ चढ़ के भाग लेना ही होगा,वो दिन लद गए जब ये कहा जाता था की ये काम पुरुष का हैं ये काम महिलाओं का हैं . जिस दिन उन्हें आत्मनिर्भरता का ज्ञान होगा उस दिन से शायद ही हमें महिला दिवस मनाने की जरूरत होगी उन्हें उनका अधिकार याद दिलाने की जरूरत होगी
ZEAL ने कहा…
.

नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा
मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?...

बेहतरीन रचना , बधाई स्वीकारें ।

.
सदा ने कहा…
वाह ...बहुत खूब सुन्‍दर शब्‍द रचना ।
राज भाटिय़ा ने कहा…
काश वो दिन जल्द आये जब नारी नारी मिल कर रहना सीखे, फ़िर तो सास, बहू, ननद से घर स्वर्ग जेसा बन जायेगा....आमीन
महिला दिवस की हार्दिक बधाई।
शोभना चौरे ने कहा…
bahut sundar bhavo liye achhi rachna
Satish Saxena ने कहा…
बहुत बढ़िया चिंतन ! सही सुझाव ...हार्दिक शुभकामनायें !!
बेहतरीन कविता.बधाई.
ज्योति सिंह जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

बहुत अच्छी रचना है …
नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा

मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?



…लेकिन , देखिए कुछ समझने का यत्न तो करते हैं हम भी हमेशा … :) बधाई , सुंदर भावों के लिए !

… और क्योंकि तीन दिन ही पहले था , इसलिए आपको
विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!

♥मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥



- राजेन्द्र स्वर्णकार
विशाल ने कहा…
नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा

मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?

बहुत ही खूब लिखा है, ज्योतिजी.
संगठन से ही ताक़त आती है.
सलाम.
Rakesh Kumar ने कहा…
बहुत ही सुंदर सुंदर सी अभिव्यक्ति .ज्योति जी आप तो जोत से जोत प्रज्जवलित करने निकल पड़ी हैं,अब तो बस प्रकाश ही प्रकाश होगा सर्वत्र.पुरुषों को भी साथ ले लें अपनी इस महिम में तो और भी अच्छा रहेगा.
Kunwar Kusumesh ने कहा…
महिलाओं को एक दूजे का
साथ ज़रूरी है.
काश आपकी ये पंक्तियाँ भारत की सास-बहुएं समझ पातीं.
मिल जाएंगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पाएगा।

बिल्कुल सही कहा है आपने। संगठन में ही शक्ति है।
नारी शक्ति को नमन।
हरकीरत ' हीर' ने कहा…
बहुत अच्चे भाव है कविता के ......
गर कोई महिलाओं के लिए आवाज़ उठता है
तो उसे धर्म की प्रतिस्था पर नहीं आंकना चाहिए .....
हम पहले इंसान हैं धर्म तो बाद में आता है ....
केवल राम ने कहा…
नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा

आदरणीय ज्योति सिंह जी
आपने नारी को संगठित करने का जो आह्वान किया है इन भावों को और जाग्रत करने की आवश्यकता है ..आपका आभार

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