शनिवार, 12 मार्च 2016

क़ातिल

सरेआम कत्ल कर के भी 
वो शर्मिंदा नही है ,
क्योंकि उसका कहना है 
वो कातिल नही है ।
कई बार सच भी आँखों का 
धोखा होता है ,
क़त्ल करने वाला यहाँ 
कातिल नहीं होता है ।

5 टिप्‍पणियां:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

bahut khoob...

Unknown ने कहा…
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Unknown ने कहा…
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Unknown ने कहा…
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Unknown ने कहा…

ज्योति जी मैंने आपकी कविताएं पढ़ी जो की बहुत ही अच्छी तथा भाव विभोर है आपकी कविताएं जैसे हम ,दिल और कातिल जैसी कविताएं बहुत ही अच्छी है आप इस तरह की रोचक कविताएं शब्दनगरी पर भी लिख सकती है। .....