मै दुर्गा बनकर आऊँगी ......

तुम्हारे सभी फैसलों पर मै 
मोहर लगाती जा रही हूं ,
नारी हूँ ,इसलिए सभी
नारी धर्म निभा रही हूं ,
ये अलग बात है
सोचती हूँ मै
ईसा की तरह ,
तभी नादान समझकर
माफ करती जा रही हूँ ,
पर इस भरम में न रहना किं
मै सूली पर भी चढ़ जाऊँगी ,
तुम्हारे जुर्म के आगे
मै अपना सर झुकाऊँगी ।
जब तक तुम हद मे हो
मै साथ चलती जा रही हूं ,
जिस दिन तुम महिषासुर बने
मै दुर्गा बनकर आऊँगी
मै दुर्गा बनकर आऊँगी  ।

टिप्पणियाँ

ज्योति सिंह ने कहा…
जी आपकी दिल से आभारी हूँ ,शुक्रिया
ब्लॉग बुलेटिन टीम की और रश्मि प्रभा जी की ओर से आप सब को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनाएँ |


ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 08/03/2019 की बुलेटिन, " आरम्भ मुझसे,समापन मुझमें “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ज्योति सिंह ने कहा…
बहुत बहुत धन्यवाद
Sudha Devrani ने कहा…
वाह!!!
बहुत खूब....
नारी हूँ ,इसलिए सभी
नारी धर्म निभा रही हूं ,
Pammi singh'tripti' ने कहा…
बहुत बढिया
Kamini Sinha ने कहा…
बहुत खूब ....

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