मै औरत ही बनकर रह गई ____
जिसके लिये भी अच्छा सोचा
उसी के लिए बुरी बन गई ,
छोड़ दे सारी दुनिया की फिक्र
मन ने कहा ,पर आदत वही रह गई ।
हंगामा करना भाता न था
तभी चुप रहकर सब सह गई ,
औरों को ही हमेशा देती रही
मैं कैसे मांगू ?ये सोचती ही रह गई ।
मर्यादा में बंधी रह गई
लाज को ओढ़े रह गई ,
संस्कार मिले थे चुप रहने के
तो सही होकर भी गलत समझी गई ।
लोगों को भरम था मैं खुश हूं
दर्द की नुमाईश जो की नही गई ,
सारी जिम्मेदारी कंधो पर धर कर
सब भूल की सजा भी मुझे दे दी गई ।
मै औरत हूँ या फिर कुछ और
जो सबकी उम्मीदे मुझसे जुड़ गई ,
मै भी जीना चाहती थी इंसान बनकर
पर मै औरत ही बनकर रह गई ।
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