न्याय का हिसाब

जब जब मुझे छोटा बनाया गया
मेरे तजुर्बे के कद को बढ़ाया गया

जब जब हँसकर दर्द सहा
तब तब और आजमाया गया ,

समझने के वक्त समझाया गया
क्या से क्या यहां बनाया गया ,

न्याय का भी अजीब हिसाब रहा
गलत को ही सही बताया गया ।

ज्योति सिंह

टिप्पणियाँ

Vocal Baba ने कहा…
न्याय का भी अजीब हिसाब रहा गलत को सही बताया गया। बहुत खूब। आभार। सादर।
ज्योति सिंह ने कहा…
शुक्रियां वीरेंद्र जी नमस्कार
Anuradha chauhan ने कहा…
बहुत सुंदर रचना 👌
ज्योति सिंह ने कहा…
धन्यवाद अनुराधा जी ,
Kamini Sinha ने कहा…
बहुत खूब ,,होली की हार्दिक बधाई ज्योति जी

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कुछ दिल ने कहा

अहसास.......

एकता.....