सन्नाटा....
श्मशान का
सवाल उठाया मैंने ,
होते हो आबाद
हर रोज
कितनी जानो से यहाँ
फिर क्यों इतनी ख़ामोशी
बिखरी है
क्यों सन्नाटा छाया है यहाँ ,
हर एक लाश के आने पर
तुम जश्न मनाओ
आबाद हो रहा तुम्हारा जहां
यह अहसास कराओ .
श्मशान का
सवाल उठाया मैंने ,
होते हो आबाद
हर रोज
कितनी जानो से यहाँ
फिर क्यों इतनी ख़ामोशी
बिखरी है
क्यों सन्नाटा छाया है यहाँ ,
हर एक लाश के आने पर
तुम जश्न मनाओ
आबाद हो रहा तुम्हारा जहां
यह अहसास कराओ .
टिप्पणियाँ
तुम जश्न मनाओ
आबाद हो रहा तुम्हारा जहां
यह अहसास कराओ .
बहुत खूब....
आबाद हो रहा तुम्हारा जहां
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.