चन्द सवाल है जो चीखते रह गये ...
हमारे दरम्यान के सभी रास्ते यकायक बंद हो गये
क्या कहे ,न कहे हम इस सवाल पर अटक गये ।
हम जानते है ये खूब ,दगा फितरत मे नही तुम्हारे
कोशिश तो थी मिटाने की ,मगर दाग फिर भी रह गये ।
जब भी बढ़कर उदासी मे तुम्हे गले लगाना चाहा,
तभी कुछ चुभने लगा और कदम ठहर गये ।
सब कुछ ख़ामोशी मे दबकर तो रह गया
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
हर बात गहरे यकीन का अहसास दिलाती है
पर वो नही कभी कह पाये जो तुम कह गये ।
टिप्पणियाँ
बहुत सुन्दर..