नारी तुझसे ये संसार

नारी दुर्गा का अवतार
शक्ति जिसमें असीम अपार ,

नारी शारदा स्वरूप
बहाये प्रेम दया की धार ,

नारी लक्ष्मी का ले अवतार
चलाये संयम से घर संसार ,

हे जगजननी कष्ट निवारिणी
हाथ तेरे अन्नपूर्णा का भंडार ,

त्रिशक्ति को करके धारण
करती जगत का ये उद्धार ,

ममतामयी करुणामयी,क्षमाधात्री
तेरी महिमा का नही पार ,

जहां होता है नारी का सम्मान
भगवान भी आते है उसी द्वार ,

बिन नारी घर भूत का डेरा
नारी से ही सुशोभित है घर -संसार ,

फिर भी इस पर अन्यायों का
क्यो होता रहता है प्रहार ,

जो हारी इसकी उम्मीदे
समझो ये है हमारी हार ,

जो हारी इसकी उम्मीदे
समझो ये है विश्व की हार ।

सभी साथियों को महिला दिवस की अनंत शुभकामनाएं

टिप्पणियाँ

yashoda Agrawal ने कहा…
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 08 मार्च 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
Jyoti Singh ने कहा…
Bahut bahut aabhar aapka nmn
बहुत ही सुंदर रचना।

मुझे तो बस इतना पता है कि माँ नहीं होती तो मैं नही होता और पत्नी नहीं होती तो मेरे बच्चे / बेटियाँ नहीं होती। इसकी पटाक्षेप में नानी व दादी की भूमिका कैसे भूल सकता हूँ ।

एक पुरुष तो महज कड़ी की भाँति है। हमारा पूर्ण अस्तित्व ही आपकी वजह से है।

महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
Jyoti Singh ने कहा…
Bahut sundar tippani vichar ,shukriyaa aapka

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