एक सा


कल जिस तरह आरम्भ हुई थी ,


आज तक वैसी ही बनी रही ।


प्रसून वेदना मानस पटल पर


यू अटल छवि सी अंकित रही ।


वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का


आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।

टिप्पणियाँ

राज भाटिय़ा ने कहा…
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का

आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।
बहुत ही सुंदर भाव लिये.
धन्यवाद
Apanatva ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Apanatva ने कहा…
intzar us din ka jis din aapakee rachana vedana ke bhav se hee pare ho .
nav varsh aapake vartmaan ko khushiyon se bhar de isee aasheesh ke sath
मनोज कुमार ने कहा…
बिलकुल सही कहा आपने।
बिलकुल सही कहा आपने।
Randhir Singh Suman ने कहा…
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का

आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।nice
अच्छी लेखन शैली की प्रतीक हैं ...
ज्योति सिंह ने कहा…
ye purani rachna hai ,jo dalni thi uski taiyaari nahi rahi ,is karan ise dala ,magar aap sabhi ki tippani ne hausala badha diya ise pasand karke ,shukriyaan
ARE MUMMY KAISI HAI...
AAPKA BETA
SANJAY BHASKAR
कल जिस तरह आरम्भ हुई थी ,
आज तक वैसी ही बनी रही

लाजवाब पंक्तियाँ
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ...

शून्य से निकल कर शून्य में ले जाती हुई शशक्त रचना .........
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ...

आपका वर्तमान भविष्य और अतीत. मेरी भी एक वर्तमान भविष्य और अतीत पर कविता तैयार है .कब पोस्ट कर पाती हूँ पता नहीं
kshama ने कहा…
Behad sundar abhiwyakti...! Kaash mai bhi aisa likh pati!
हरकीरत ' हीर' ने कहा…
कल जैसा था भले ही आज वैसा हो पर भविष्य वैसा नहीं होगा उम्मीद है ......!!
मनोज भारती ने कहा…
हरकीरत जी से सहमत हूँ ।
Alpana Verma ने कहा…
वर्तमान - भविष्य के मध्य अतीत का

आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।
बहुत ही सुंदर बात कह दी आप ने...
पुरानी कविता में भी लेखन कहीं कच्चा नहीं दिखता.
बहुत गहन भाव इन पंक्तियों में.
आभार.

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