ye purani rachna hai ,jo dalni thi uski taiyaari nahi rahi ,is karan ise dala ,magar aap sabhi ki tippani ne hausala badha diya ise pasand karke ,shukriyaan
अच्छे को अच्छे बोल देने मे क्या बुराई है अच्छाई से आखिर हमारी क्या लड़ाई है ये तो हर दिल को अजीज होती हैं इसमें ये क्या देखना अपनी है या पराई है । 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳 जिस बात के लिए बहुत सोचना पड़ता है उस बात को फिर पीछे छोड़ना पड़ता है । 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 दिमाग वालों से यहाँ कौन भिड़ता है वेबकूफ़ों से ही तो हर कोई लड़ता है। 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 सच ही कभी कभी हमें स्वीकार नहीं होता आँखों देखे पर भी हमें विश्वास नहीं होता। 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 हर कोई बैठा है इसी इंतजार में कब सब अच्छा होगा इस संसार में । 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 वक़्त की मांगे करवटें लेती रहती हैं उम्मीदें बहुत कुछ बदल देती हैं आगाज से बहुत अलग अंजाम होता है अंत में सब लकीरों के नाम होता है ।
धीरे - धीरे यह अहसास हो रहा है ,
वो मुझसे अब कहीं दूर हो रहा है।
कल तक था जो मुझे सबसे अज़ीज़ ,
आज क्यों मेरा रकीब हो रहा है।
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इन्तहां हो रही है खामोशी की ,
वफाओं पे शक होने लगा अब कहीं।
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जिंदगी है दोस्त हमारी ,
कभी इससे दुश्मनी ,
कभी है इससे यारी।
रूठने - मनाने के सिलसिले में ,
हो गई कहीं और प्यारी ।
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इस इज़हार में इकरार
नज़रंदाज़ सा है कहीं ,
थामते रह गए ज़रूरत को ,
चाहत का नामोनिशान नहीं।
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ये बहुत पुरानी रचना है किसी के कहने पर फिर से पोस्ट कर रही हूँ ।
ह ृदय उदार हो ,
सागर की थाह सा
गहरा भाव हो
मन में प्यार हो ,
शुद्ध अन्तः करण हो ,
उद्देश्य हो सभी का
परोपकार ,
रंजो - गम का कोई भी
स्वरुप न हो साकार ,
ऐसे रिश्तें जीवन बांटे
मन में रख न मलाल ।
एकता के इन भावो से
सारा जीवन हो खुशहाल ।
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सभी साथियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाये ,
टिप्पणियाँ
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।
बहुत ही सुंदर भाव लिये.
धन्यवाद
nav varsh aapake vartmaan ko khushiyon se bhar de isee aasheesh ke sath
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।nice
AAPKA BETA
SANJAY BHASKAR
आज तक वैसी ही बनी रही
लाजवाब पंक्तियाँ
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ...
शून्य से निकल कर शून्य में ले जाती हुई शशक्त रचना .........
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ...
आपका वर्तमान भविष्य और अतीत. मेरी भी एक वर्तमान भविष्य और अतीत पर कविता तैयार है .कब पोस्ट कर पाती हूँ पता नहीं
आरम्भ भी वही और अंत भी वही ।
बहुत ही सुंदर बात कह दी आप ने...
पुरानी कविता में भी लेखन कहीं कच्चा नहीं दिखता.
बहुत गहन भाव इन पंक्तियों में.
आभार.