आते -जाते साल
आते साल
जाते साल ,
गम -ख़ुशी
लपेटे साल ,
कड़ी धूप में
तपते साल ,
ठंडी छाँव में
बीते साल ,
मिलने और बिछुड़ने की
यादो में सिमटे साल ,
और तपाते हुए हमें
जीवन के अनुभव में ,
जीवन -दर्शन कराते
रहे ये साल ,
कितने उतार-चढ़ाव में
गिरते -संभलते साल ,
जाते साल ,
गम -ख़ुशी
लपेटे साल ,
कड़ी धूप में
तपते साल ,
ठंडी छाँव में
बीते साल ,
मिलने और बिछुड़ने की
यादो में सिमटे साल ,
और तपाते हुए हमें
जीवन के अनुभव में ,
जीवन -दर्शन कराते
रहे ये साल ,
कितने उतार-चढ़ाव में
गिरते -संभलते साल ,
औरो के आगे
खुद को
बेहतर पाते साल ,
जिंदगी मुमकिन है
मगर आसान नहीं ,
यही अहसास
दे जाते साल ,
सबके दामन महके
खुशियों से
यही दुआए ले
आते साल ।
टिप्पणियाँ
--
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, रंग-रँगीली शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", उर्दू कौन सी भाषा का शब्द है?
संपादक : "सरस पायस"
खुशियों से
यही दुआए ले
आते साल .....
आशा और उम्मीद जगाती लाजवाब रचना ......... नये साल का स्वागता करती ........
जीवन -दर्शन कराते
रहे ये साल ,
-बहुत अच्छी लगी ये पंक्तियाँ.
सबके दामन महके
खुशियों से
यही दुआए ले
आते साल ।
-शुभकामनाएँ आप को भी.
बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!