आप ही है ......
बदला हुआ सुर देखकर
हैरान इस कदर न होइये ,
अपने कैसे हो जाते पराये
अब और साबित मत कीजिये ।
दिल की नज़रो से नही
दिमाग की नजरो से देखिये ।
यहाँ जो दिखता है वो बिकता है
गूंगे को अब कोई ,साधू नही समझता है ।
बात अपनी मनवाना , है जो जनाब
घूमा फिरा के नही ,सीधे -सीधे बोलिये ।
अब ज़माना किसी को दोष देने का नही
आप ही है जगन्नाथ ,बस यही समझ लीजिये ।
टिप्पणियाँ
दिल की नज़रो से नही
दिमाग की नजरो से देखिये ।
har jagah bhavuk hone se kaam nahee chalta.......
satark rahana lazmee hai.........:)
बहुत सुन्दर रचना ........आभार !
आप ही है जगन्नाथ ,बस यही समझ लीजिये ।
बहुत लाजवाब,हर इक बात बहुत गहरी.इतनी बेहतरीन बहुत लाजवाब,हर इक बात बहुत गहरी.इतनी बेहतरीन प्रस्तुती के लिए आभार