फकीर
ये रास्ते है अदब के
कश्ती मोड़ लो ,
माझी किसी और
साहिल पे चलो ।
हम है नही खुदा
न है खास ही ,
राहे - तलब अपनी
कुछ है और ही ।
नाराजगी का यहाँ
सामान नही बनना ,
वेवजह खुद को
रुसवा नही करना ।
बे अदब से गर्मी
माहौल में बढ़ जायेगी ,
कारण तकलीफ की
हमसे जुड़ जायेगी ।
हमें हजम नही होती
इतनी अदब अदायगी ,
चलते है साथ लिए
सदा सच्चाई -सादगी ।
फितरत हमें खुदा ने
बख्शी है फकीर की ,
ले चलो मोड़ कर
मुझे अपनी राह ही ।
टिप्पणियाँ
Rachana behad sanjeeda lagee!
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अकेला कलम
Satya`s Blog
फ़ितरत हमें खुदा ने बख्शी फ़कीर की
ले चलो मोड़ कर मुझे अपनी राह ही...
ज्योति जी,
बहुत ही अच्छे तरीके से
आपने सादगीपूर्ण जीवन के महत्व को प्रस्तुत किया है. बधाई.
अकेला या अकेली
फितरत हमें खुदा ने
बख्शी है फकीर की ,
ले चलो मोड़ कर
मुझे अपनी राह ही ।
बहुत गहरी बात कह दी आप ने
इतनी अदब अदायगी,
चलते है साथ लिए
सदा सच्चाई -सादगी।
फितरत हमें खुदा ने
बख्शी है फकीर की,
ले चलो मोड़ कर
मुझे अपनी राह ही।
ज्योति जी,
जय हो!
आशीष
बख्शी है फकीर की ,
ले चलो मोड़ कर
मुझे अपनी राह ही ।------------------------------बहुत दार्शनिक भावों को सुन्दर शब्दों में बयान किया है आपने।
सदा सच्चाई -सादगी ।
फितरत हमें खुदा ने
बख्शी है फकीर की ,
ati sundar rachana ke liye badhaaii
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