दर्द ..


आहिस्ता - आहिस्ता
दर्द घर में
पैर जमाता रहा _
और कुछ हल्की
कुछ गहरी छाप
अपनी शक्ल की
छोड़ता रहा
हम इसकी आमद से
घबराते रहे ,
ये अपना राज
फैलाता रहा

टिप्पणियाँ

इस्मत ज़ैदी ने कहा…
क्या बात है !

हम इसकी आमद से
घबराते रहे ,
ये अपना राज
फैलाता रहा

बहुत बढ़िया ज्योति जी
Asha Joglekar ने कहा…
वाह दर्द का आहिस्ता से आना और चुपके से अपनी जडें जमाना बहुत बढिया ।
Udan Tashtari ने कहा…
बहुत बढ़िया
Alpana Verma ने कहा…
दर्द अहिस्ता आहिस्ता ही आता है...कभी बिना आहट भी ...और चुपके से कब अपना राज कायम कर लेता है ..मालूम ही नहीं चलता .
बहुत सुंदरता से आप ने मन के भावों को अभिव्यक्त किया है .छोटी सी कविता गहरी सी बात कह दी..
Sadhana Vaid ने कहा…
बहुत सुन्दर ज्योतिजी बहुत अर्थपूर्ण रचना है आपकी ! बधाई !
kshama ने कहा…
Oh!Wah! Sach...bilkul aisahi hota hai..dard dekhte hi dekhte hamare jeevan me bas jata hai!
हमेशा की तरह बहुत शशक्त रचना है...भावनाओं को शब्द देना कोई आपसे सीखे...बेहतरीन...मेरा अभिवादन स्वीकार करें...
nilesh mathur ने कहा…
बहुत सुन्दर, बेहद प्रभावशाली, कमाल कि अभिव्यक्ति!
कमाल की अभिव्यक्ति.... दिल को छू गई..
एक सच्ची अभिव्यक्ति
राज भाटिय़ा ने कहा…
बहुत खुब धन्यवाद
dard ka aana... bahut gahri abhivyakti
हरकीरत ' हीर' ने कहा…
हम इसकी आमद से
घबराते रहे ,
ये अपना राज
फैलाता रहा

क्या बात है..... !

बहुत बढ़िया....!!
बहुत बढिया रचना है !!बधाई।
थोड़े शब्दों में गहरी बात. बहुत सुंदर.
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
SATYA ने कहा…
बहुत बढ़िया,
बहुत सुन्दर.
बहुत सुंदरता से आप ने मन के भावों को अभिव्यक्त किया है ...
बहुत बढ़िया....!!
शारदा अरोरा ने कहा…
और उसकी आहट शब्दों में उतरती रही ।
बहुत बढिया चंद शब्दों मे गहरे भाव। आभार।
दर्द बहुत तेज़ी से फैलता है ... इसका कोई इलाज़ नही ...

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