आदमी.....

आदमी जिंदगी के जंगल में

अपना ही करता शिकार है ,

फैलाता है औरो के लिए जाल

और फसता खुद हर बार है ।
.......................

टिप्पणियाँ

बहुत सही..पर मानव की प्रवृति हैं सोचता अपने अनुरूप ही है
ज्योति सिंह ने कहा…
धन्यवाद संजय

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कुछ दिल ने कहा

सन्नाटा

अहसास.......