अधूरी आस
थमती नही
कलम को थाम सकू
वो फुर्सत नही ,
जब भी कोशिश हुई
पकड़ने की
वक़्त छीन ले गया ,
एक पल को भी
रूकने नही दिया ,
सोचती हूँ
इन्द्रधनुषी रंग सभी
क्या बादल में ही
छिप कर रह जायेंगे ,
या जमीं को भी
कभी हसीं बनायेंगे l
थमती नही
कलम को थाम सकू
वो फुर्सत नही ,
जब भी कोशिश हुई
पकड़ने की
वक़्त छीन ले गया ,
एक पल को भी
रूकने नही दिया ,
सोचती हूँ
इन्द्रधनुषी रंग सभी
क्या बादल में ही
छिप कर रह जायेंगे ,
या जमीं को भी
कभी हसीं बनायेंगे l
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