कलम की ज़िद
करने लगी कलम आज शोर
शब्दों को रही तोड़-मरोड़,
कुछ तो हंगामा करो यार,
अच्छा नहीं यूँ बैठे चुपचाप।
कागज़ पे तांडव हो आज,
लगे विचारों के साथ दौड़,
मच जाए आपस में होड़।
मचला है, ख्यालों में जोश ,
उसे नहीं कुछ और है होश।
ले के नई उमंगों का दौर,
करने लगी कलम आज शोर।
टिप्पणियाँ
धरा में अजोर करता है
बेहतरीन रचना
अकेली नहीं हैं आप उस ओर
हम भी कोशिश करेंगे पुर जोर
lafz.dr.lafz nikle kuchh aur
zingi ke saath ho jb baat to
rachnaao ka paltaa hi rahaa shor
khayalon men rang bharne dijiye
kaun jaane kaisi rachna janm le
lafz ko kavita men dhalne dijiye.
jyoti ji achcha likha hai.maine nahin aapne.
yogesh ji ,rachna ji avam muflis ji aapki panktiyon ne char chand laga diya ,jise padh mujhe behad khushi hui .
AATI SUNDER
लाजवाब
SANJAY