ख्याल जुदाई का ....

वो मंजर जितना हसीं

उतना ही गमगीन होगा ,

जब हम हाथ छुड़ाके

दिल में होकर भी ,

दूरी नाप रहे होंगे ,

एक पल नजदीक

और एक पल दूर

खींचते हुए हमें ,

अनचाहे राह पर

खड़े किये होगा ,

हम हालात में कैद

अपनी मर्जी बांधे होंगे ,

चाहते हुए भी

एक दूजे को ,

विदा करते होंगे ,

डबडबाती आँखों में

आंसुओं को सँभालते हुए ,

हाथ हिलाते - हिलाते

अचानक ओझल हो जायेंगे

अपने -अपने रास्ते मुडकर

यही ख्याल लिए बढ़ते होंगे ,

कल मिलेंगे भी कि नहीं

ये जुदाई उम्र कैद तो नहीं


टिप्पणियाँ

राज भाटिय़ा ने कहा…
डरा देता है ख्याल जुदाई का, बहुत अच्छी कविता कही आप ने, धन्यवाद
Apanatva ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
मनोज कुमार ने कहा…
सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है। बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
sandhyagupta ने कहा…
Jyoti ji,nav varsh ki dheron shubkamnayen.
बहुत भाव भीनी कविता मन को भिगो गयी
नववर्ष पर हार्दिक बधाई आप व आपके परिवार की सुख और समृद्धि की कामना के साथ
सादर
RAJ SINH ने कहा…
जुदाई उम्र कैद ?

या अविचल निहारती आँखों का अवदान ?
काश ऐसा होता,अच्छी कविता,सादर.
बहुत अच्छी कविता कही आप ने, धन्यवाद

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