अहसास.......
धीरे-धीरे यह अहसास हो रहा है,
वो मुझसे अब कहीं दूर हो रहा है।
कल तक था जो मुझे सबसे अज़ीज़,
आज क्यों मेरा रकीब हो रहा है।
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इन्तहां हो रही है खामोशी की,
वफाओं पे शक होने लगा अब कहीं।
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जिंदगी है दोस्त हमारी,
कभी इससे दुश्मनी,
कभी है इससे यारी।
रूठने -मनाने के सिलसिले में,
हो गई कहीं और प्यारी ।
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इस इज़हार में इकरार
नज़रंदाज़ सा है कहीं,
थामते रह गए ज़रूरत को,
चाहत का नामोनिशान नहीं।
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ये बहुत पुरानी रचना है किसी के कहने पर फिर से पोस्ट कर रही हूँ ।
टिप्पणियाँ
man ke kisee koune me aapka lekhan ghar bana raha hai .........
’ओल्ड इस गोल्ड’
बहुत उम्दा लगी है रचना.
वो मुझसे अब कहीं दूर हो रहा है।
कल तक था जो मुझे सबसे अज़ीज़,
आज क्यों मेरा रकीब हो रहा है ...
संभालिए ... रकीब अच्छे नही ...
बहुत लाजवाब लिखा है ... सब रचनाएँ अच्छी हैं ...
रचना अच्छी है..मन के भावों को बखूबी अभिव्यक्त करती हुई...
[पुराने दिनो की महक है तो !]
apantava ji aapki aabhari hoon jo itni khoobsurat baate kahi aapne ,
alpana ji aapki baaton me puraane dino ke ahsaas najar aate hai .
sabhi ka tahe dil se shukriyaan
ढेर सारी शुभकामनायें.
नज़रंदाज़ सा है कहीं,
थामते रह गए ज़रूरत को,
चाहत का नामोनिशान नहीं।
बहुत सुंदर पंक्तियाँ.... सम्पूर्ण रचना ने दिल को छू लिया....
देरी से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ..... क्यूंकि मैं बाहर था....
Holee kee dher saree shubhkamnayen!
होली की बधाई और शुभकामनायें.
आपको सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाये.
वो मुझसे अब कहीं दूर हो रहा है।
कल तक था जो मुझे सबसे अज़ीज़,
आज क्यों मेरा रकीब हो रहा है।
woooooooow maza aa gaya padh kar..
tum dhire dhire unka paas chali jao
vo tumse dur he to tum kareeb ho jao
vo banNe ki koshish karta hai gar rakeeb..
usko pyar ke rango se ajeez kar jao..
ha.ha.ha.
bura na mano holi hai..
holi ki shubhkamnaye..