कुछ दिल ने कहा
अच्छे को अच्छे बोल देने मे क्या बुराई है अच्छाई से आखिर हमारी क्या लड़ाई है ये तो हर दिल को अजीज होती हैं इसमें ये क्या देखना अपनी है या पराई है । 🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳 जिस बात के लिए बहुत सोचना पड़ता है उस बात को फिर पीछे छोड़ना पड़ता है । 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 दिमाग वालों से यहाँ कौन भिड़ता है वेबकूफ़ों से ही तो हर कोई लड़ता है। 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 सच ही कभी कभी हमें स्वीकार नहीं होता आँखों देखे पर भी हमें विश्वास नहीं होता। 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 हर कोई बैठा है इसी इंतजार में कब सब अच्छा होगा इस संसार में । 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 वक़्त की मांगे करवटें लेती रहती हैं उम्मीदें बहुत कुछ बदल देती हैं आगाज से बहुत अलग अंजाम होता है अंत में सब लकीरों के नाम होता है ।
टिप्पणियाँ
काफी भाव पूर्ण रचना ..
बधाई , स्वीकारें ||
किस तरह यह नाता तोडू ,
अम्बर की चाहत में बतला
किस तरह यह दामन छोड़ू ।
Ek vinamr bhaav se bharpoor rachana!
किस तरह नाता तोडूं
अम्बर की चाहत में बतला
किस तरह दामन छोडूँ .....
यही अंतर है पाश्चात्य और भारतीय संस्कृति में ....!!
deri se aane ke liye maafi chahunga... aapko kaaran to pata hi hai ... ab dheere dheere blogging me aa raha hon..
aapki ye kavita mujhe bahut acchi lagi , man ki kashamkash ko darshati hui poem hai ... aapne bahut accha likha hai .. badhayi sweekar kare..
aabhar
vijay
- pls read my new poem at my blog -www.poemsofvijay.blogspot.com
किस तरह यह नाता तोडू ,
अम्बर की चाहत में बतला
किस तरह यह दामन छोड़ू ।
सच कहा जड़ें जमीं से जुड़ी रहें तभी तक अच्छा है दिल को छू रही है यह कविता
लेकिन धूल है इसीलिए ज़मीन छोड़ नहीं सकती आसमान छू नहीं सकती..यह उसकी नियती है..गहन अर्थ लिए पंक्तियाँ.
Badhaae
dharti ko fateh kar le
apni insaniyat me rah kar hi
log upar hai uthte..