शुक्रवार, 25 जून 2010

कौन हो तुम ....?


वक़्त किसी के लिए
ठहरता नही ,
मगर तुम्हे उम्मीद है
कि वो ठहरेगा ,
सिर्फ और सिर्फ
तुम्हारे लिए ,
और इन्तजार करेगा
तुम्हारा ,
बड़ी बेसब्री से
कोई अलभ्य
शख्सियत हो ?
जो रुख हवाओं का
मोड़ रहे हो ?
वर्ना आदमी दौड़कर भी
पकड़ नही पाया
वक़्त को तां - उम्र ,
और तुम बड़े इत्मीनान से
सुस्ता रहे हो

24 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

वक्त कब ठहरता है भला किसी के लिये!! वक्त को तो पकड़्ना ही पड़ता है.
सुन्दर रचना

kshama ने कहा…

Waqt ki har shay gulaam,waqt ka har shay raj!
Bahut sundar likhteen hain aap!

vandana gupta ने कहा…

वाह्……………खूबसूरत रचना।

sanu shukla ने कहा…

बहुत सुंदर रचना..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वक्त कहाँ कौन पकड़ पाया है? अच्छी अभिव्यक्ति

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

वाह....वाह....वाह
कितने गहरे भाव पेश किए हैं आपने.
आपकी बेहतरीन रचनाओं में से एक लगी ये कविता.

निर्मला कपिला ने कहा…

सही बात है हम वक्त की क नही कर पात गया वक्त फिर आता नही बहुत सुन्दर शब्दों मे कहानी को बान्धा है धन्यवाद्

मनोज भारती ने कहा…

और तुम बड़े इत्मीनान से
सुस्ता रहे हो ।

वक्त दौड़ रहा है ...मन भी उसी गति से दौड़ रहा है ...पर पकड़ नहीं पाएगा । जब तक कि खुद न गिर जाए ।

स्वयं की समय के परिप्रेक्ष्य में अच्छी पड़ताल

Asha Joglekar ने कहा…

वक्त किसी के लिये नही ठहरता । वक्त को सामने से पकडना है वरना पीछे से तो वह गंजा है ।
सुंदर रचना ।

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

bahut sunder abhivyakti.

ek jageh aapne tan umr likha he vo shabd tamaam umr hota he mere khayal se.

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता है ज्योति जी, बधाई.

रचना दीक्षित ने कहा…

समय की सही महत्ता दर्शाती बहुत बेहतरीन कविता है

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bahut khub......ek khubsurat rachna!! maine bhi samay par kuchh likha tha ........dekhengeee

samay ke गति के साथ
जिसने भी बैठाया ताल-मेल
सफलता की बुलंदियों पर
पहुंचा बन कर सुपर मेल
परन्तु, हम जैसे साधारण लोगो की सोच..?
हमारे लिए तो ये वही है
पसेंजेर, वही रलेम-पेल!!!!!!

Reetika ने कहा…

hum koi waqt nahi aey humdum, jab bulaoge chale aayenge....

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

वक्त किसीके लिए नहीं ठहरता है, जिंदगी को हमेशा इसके साथ होड़ लगानी पड़ती है ...
बहुत सुन्दर !
आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद ... आप सबका प्यार यूँही बना रहे यही तमन्ना है !

S.M.Masoom ने कहा…

सहज भाव से कही गयी एक गंभीर बात.

शरद कोकास ने कहा…

अच्छा विचार है

Alpana Verma ने कहा…

वाह! बहुत बढ़िया ..
वक़्त किस के हाथ आया ?

adwet ने कहा…

बहुत ही ऊंची बात कही है आपने। अच्छा दर्शन और आह्वान है इसमें। बहुत सुंदर।

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

वक़्त करता जो वफ़ा ...................

हमें तो कोई उम्मीद ही नहीं वक़्त से संगीता जी ....!!

अच्छी रचना .....!!

शोभना चौरे ने कहा…

vakt ki bahut sundar vyakhya .
bahut achhi rachna

Apanatva ने कहा…

jyotijee bahut sunder abhivykti vkt kee raftar aur insaan ke attitude ko lekar........
aabhar

ZEAL ने कहा…

kuchh aalsi issi tarah, ta-umr intezaar karte hain vaqt ke theherne ka..

aise aalsi azgaron ko vaqt ki bereham maar ek din sab kuchh sikha deti hai

दिगम्बर नासवा ने कहा…

समय के साथ साथ चलना पड़ता है ,, नही तो वो छूट जाता है ...