जब जब मुझे छोटा बनाया गया मेरे तजुर्बे के कद को बढ़ाया गया
जब जब हँसकर दर्द सहा तब तब और आजमाया गया ,
समझने के वक्त समझाया गया क्या से क्या यहां बनाया गया ,
न्याय का भी अजीब हिसाब रहा गलत को ही सही बताया गया ।
ज्योति सिंह
न्याय का भी अजीब हिसाब रहा गलत को सही बताया गया। बहुत खूब। आभार। सादर।
शुक्रियां वीरेंद्र जी नमस्कार
बहुत सुंदर रचना 👌
धन्यवाद अनुराधा जी ,
बहुत खूब ,,होली की हार्दिक बधाई ज्योति जी
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5 टिप्पणियां:
न्याय का भी अजीब हिसाब रहा गलत को सही बताया गया। बहुत खूब। आभार। सादर।
शुक्रियां वीरेंद्र जी नमस्कार
बहुत सुंदर रचना 👌
धन्यवाद अनुराधा जी ,
बहुत खूब ,,होली की हार्दिक बधाई ज्योति जी
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