ओस की एक बूँद
नन्ही सी
चमकती हुई
अस्थाई क्षणिक
रात भर की मेहमान ___
जो सूरज के
आने की प्रतीक्षा
कतई नही करती ,
चाँद से रूकने की
जिद्द करती है ,
क्योंकि
दूधिया रात मे
उसका वजूद जिन्दा
रहता है ,
सूरज की तपिश
उसके अस्तित्व को
जला देती है ।
ज्योति सिंह
14 टिप्पणियां:
बढ़िया ।
सरल व प्रभावी ओस की एक बूंद के इर्द-गिर्द सुंदर ताना-बाना बुना आपने आभार
आपका हार्दिक आभार
आपकी सभी की टिप्पणियों से मन का उत्साह दुगुना हो जाता है ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद
बढ़िया
वाह....वाह...!
बहुत बहुत धन्यवाद पवन जी
बहुत सुन्दर. सूरज के बिना चाँद कुछ भी नहीं.
आपका हार्दिक आभार सीमा जी
आपका हार्दिक आभार शबनम जी
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति आदरणीया दीदी जी.
सादर
धन्यवाद अनिता बहन
पल भर का वजूद पर ज़िंदगी जी लेती हैं ओस की बूँदें ...
वाह कितना सुंदर कहा है आपने ,प्यारी सी टिप्पणी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।।
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