ओस
ओस की एक बूँद
नन्ही सी
चमकती हुई
अस्थाई क्षणिक
रात भर की मेहमान ___
जो सूरज के
आने की प्रतीक्षा
कतई नही करती ,
चाँद से रूकने की
जिद्द करती है ,
क्योंकि
दूधिया रात मे
उसका वजूद जिन्दा
रहता है ,
सूरज की तपिश
उसके अस्तित्व को
जला देती है ।
ज्योति सिंह
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