चंद सवाल है जो चीखते ......
तेरे मेरे दरम्यान सभी रास्ते यकायक बंद हो गये
क्या कहे ,न कहे हम इस सवाल पर ठहर गये ।
हम जानते है ये खूब ,दगा फितरत मे नही तुम्हारे
कोशिश तो की मिटाने की ,मगर दाग फिर भी रह गये ।
हर उदासी मे बढ़कर तुम्हे गले लगाना चाहा
कुछ चुभने लगा तभी ,और कदम ठहर गये ।
सब कुछ ख़ामोशी मे दबकर तो रह गया
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
हर बात गहरे यकीन का अहसास दिलाती है
पर वो नही कभी कर पाये जो तुम कह गये ।
टिप्पणियाँ
चंद सवाल बहुत परेशान किया करते हैं...
अच्छा लिखा है ज्योति .
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
कविता पढ कर एक ठंडी आह दिल से गहरे निकली... बहुत अच्छी रचना.
दगा और दाग.बहुत सुन्दर.
और सब से बढ़िया शेर...
सब खामोशी में दब कर रह गया
मगर चंद सवाल हैं जो चीखते रह गए
आपकी कलम को सलाम.
नमस्कार !
विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !
कविता के भाव बड़े ही प्रभाव पूर्ण ढंग से संप्रेषित हो रहे हैं !
आभार!
......दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
दर्द की चीत्कार सी लगी यह रचना ..
प्रणाम.
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये
दर्द और कसक का अहसास कराती सुन्दर रचना.
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
बहुत सुन्दर !
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये
क्या बात है वह ख़ामोशी भी कैसी है जिसमें सवालों की चीख भी सुनाई नही दी बहुत अच्छी रचना , बधाई
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ....
इन सवालों की खोज ही तो जीवन है ....
प्रेम हो तो ये सवाल नहीं आते ....
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
बहुत सुन्दर है ज्योति.
बधाई स्वीकारें।
deri se aane ke liye maafi , bahut dino baad aaya hoon .
itni acchi rachna hai , man ki udaasi ko aur gahra kar gayi hai ..
Badhayi
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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
शुभकामनाएँ !
Mere blog 'Mansa vacha karmana' per aapka swaagat hai.
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
मन की वेदना को सुंदर शाब्दिक अर्थ दिए हैं आपने ...बेमिसाल हैं सारी पंक्तियाँ
कुछ चुभने लगा तभी ,और कदम ठहर गये ।
बहुत अच्छी रचना.
मगर चंद सवाल हैं जो चीखते रह गए
सब कुछ स्वयं जिया हुआ सा लग रहा है !
आपने जिस खूबसूरती से हर पंक्तियों में संवेदना की अंतिम गहराई को स्थापित किया है वह काबिले तारीफ है !
आभार !
फिर वही बेलफ्ज़ हैं मेरे सवाल ..
के तू है भी मेरा और मैं तेरी नहीं .....
शुभकामनायें आपको !
मगर चंद सवाल हैं जो चीखते रह गए
बहुत अच्छी रचना
aapki prastuti kal charchamanch me hogi... aap bhi vahan aayen aur apne vichaar rakhen...
http://charchamanch.blogspot.com
सब कुछ खामोशी में दब कर तो रह गया,
मगर चंद सवाल हैं जो चीखते रह गये !
बहुत ही सुन्दर भावाभिव्यक्ति है ! आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आई हूँ ! अफ़सोस हो रहा है इतनी देर से क्यों आई ! बहुत सुन्दर रचना है ! बधाई !
मगर चंद सवाल है ,जो चीखते रह गये ।
और उस चीख को आज तक मुकाम नही मिला………………
क्या सुनाई देती है तुम्हें …………एक बेहतरीन शब्द रचना के लिये हार्दिक बधाई।
कोशिश तो की मिटाने की ,मगर दाग फिर भी रह गये ।
बहुत खूब ...सुन्दर प्रस्तुति
मेरे ब्लॉग 'मनसा वाचा कर्मणा' की नई पोस्ट "मो को कहाँ ढूंढता रे बंदे" पर आपके
बहुमूल्य वैचारिक दान की अपेक्षा है .
bahut hi umda rachna jo bahut kuchh
kahti hui dil me utar gai.
badhai------
poonam
कोई मज़बूरी होगी जो दिल खोलकर रोये
मेरे सामने टुकड़े कर दिए मेरी तस्वीर के
बाद में पता चला के उन्हें जोड़ के रोये |
दर्द को दर्शाती रचना |