सोमवार, 4 मई 2009

आशा की किरण

तुम दुआ हो हमारे
या अँधेरी रात में
जगमगाते सितारे ,
हवा से जहाँ
बुझ गए दिए ,
वहां जुगनू बन
राह रो़शन किए ,
तुम्हारी हक अदायगी
व दीवानगी पे ,
हमने सर ही नही ,
दिल भी झुका दिए

3 टिप्‍पणियां:

के सी ने कहा…

nice poem Jyoti ji

ज्योति सिंह ने कहा…

sab aaplogo ki duayen hai .shukriya .

संजय भास्‍कर ने कहा…

कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई