रविवार, 10 मई 2009

'ओ ' माँ

माँ की सीने की हर सांस तपस्या है ,
आती - जाती ,हल करती ,
हर एक समस्या है ,
ममता का कोमल
अहसास कराती है ,
अनदेखे ,अनछुए _____
स्पर्श का भाव जगाती है ,
ममता के स्वर में समझाती
मानव जीवन की परिभाषा ,
तुमने हर प्राणी को दे दी
जीवन की कोमल अभिलाषा ,
संसृति की ये अद्भुत रचना ,
अन्तः मन जाने खूब परखना ,
श्रम -साधक , कर्म - विधेयता ,
शत -शत नमन
'ओ ' माँ की ममता

3 टिप्‍पणियां:

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना....बधाई. मेरे ब्लौग पर आने और सराहने के लिये धन्यवाद .

रावेंद्रकुमार रवि ने कहा…

काव्यांजलि के माध्यम से बहुत अच्छी कोशिश हो रही है अच्छा लिखने की!

ज्योति सिंह ने कहा…

shukriya .