काव्यांजलि
रविवार, 24 अगस्त 2014
दुआ......?
उम्मीद छोड़ रहे है
विश्वास तोड़ रहे है
जीने की हर राह से
मुंह अपने मोड़ रहे है ,
सपनो को मिटाकर
इच्छाओ को दफनाकर
फिर जिन्दगी के वास्ते
दुआ मांगने के लिए
क्यो हाथ जोड़ रहे है ?
गुरुवार, 7 अगस्त 2014
हादसा.....
रकीबो की फिक्रे तमाम हो गई
दोस्ती जो यहां बदनाम हो गई .
उन्ही के शहर मे ठिकाना ढूंढ रहे है
मुश्किल मे कितनी ये जान हो गई.
अपनो से ही सब किनारा करने लगे
उम्मीद इस कदर यहां निलाम हो गई .
हादसा हादसा और हादसा ही यहां
हर कहानी का सिर्फ उनबान हो गई .
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