अब क्या करना है
ये जिंदगी और मिल भी
गई तो क्या?
अब वक्त ही नही है
इन सभी बातों के लिए
इन सभी जज़्बातों के लिए
हर बात के लिए 'वक्त'
मुकर्रर किया गया है यहाँ
उस वक्त पर जो नही हुआ
वो नही हुआ
फिर कभी नहीं हुआ
क्योंकि गलत वक्त पर
किया गया काम
किसी काम का नही हुआ
उसमें वो बात ही नही होती
जो समय पर होने से है होती
वगैरह वगैरह वगैरह
न जाने ऐसे कितने ही सवाल
उम्र के ढलने पर
जवानी के दौर गुजरने पर
जहन में जन्म लेते है
या लेने लग जाते है
क्योंकि
उम्र के उस पड़ाव पर
आदमी खड़ा होता है
या हम खड़े होते है
जहाँ इच्छाये
साथ छोड़ने लग जाती हैं
जिंदगी जीने का
सलीका जान जाती है,
यही है जिंदगी
जब तक रास्ते समझ में आते है
तब तक लौटने का समय
होने लगता हैं
धीरे धीरे हर बात से
नाता टूटने लगता हैं,
तभी
आदमी की सोच को
तथास्तु तथास्तु तथास्तु
कह कर समय
अपनी रफ्तार का
अहसास कराता हैं
जो होना था
सो हो गया
जो है ,उसमें खुश रहने की