मंगलवार, 29 दिसंबर 2009
ख्याल जुदाई का ....
रविवार, 27 दिसंबर 2009
बाँध ले आस जीने की
जी सके तो जी ।
बढ़कर आगे थाम ले
आस जीने की ।
खुशियों के बहाने ही
गम के आंसू पी ।
जा रही है जिंदगी
खुशियों से तू जी ।
हो सके तो दे के जा
सबको कोई ख़ुशी ।
बाँट ले तू बढ़कर
गम के बोझ कही ।
जाएगा जो बांधकर
दिल में नफ़रत यूं ही ।
जी सकेगा न तू
उस जहां में भी ।
कर ले गमो से तू
अब तो दोस्ती ।
बढ़कर के आगे थाम ले
अब ये हाथ भी ।
जिद्द से हो रिहा तू
पायेगा ,यहाँ कुछ नहीं ।
जा रही है जिंदगी
मुस्कुरा कर जी ।
गुरुवार, 24 दिसंबर 2009
दिल ........
शनिवार, 19 दिसंबर 2009
हर कदम संभलकर उठाती है जिंदगी
शुक्रवार, 18 दिसंबर 2009
उलझन ....
मंगलवार, 15 दिसंबर 2009
मन
रविवार, 13 दिसंबर 2009
फिर वही राह
गुरुवार, 10 दिसंबर 2009
मुमकिन .....
सोमवार, 7 दिसंबर 2009
विरक्ति
शुक्रवार, 4 दिसंबर 2009
व्यक्तिवाद
मंगलवार, 1 दिसंबर 2009
पाक सा रिश्ता
गुरुवार, 26 नवंबर 2009
जीवन संगीत
आज के दिन ही हम एक हुए थे....कितना लम्बा सफ़र तय कर लिया, याद ही नहीं। लगता है कल की ही तो बात थी........ अहसास कभी उम्र नहीं पाते , कितनी सच्ची बात है ये। जीवन की ऊंची-नीची डगर पर चलते हुए कब एक अजनबी इतना अपना हो जाता है पता ही नहीं चलता.........
सुख-दुख के साझेदार हुए,
जीवनभर के साथ हुए।
कानों में संगम के गीत प्रिये,
तुम तो मेरे मीत प्रिये।
आंसुओं से भीगे हुए,
पलकों पर कुछ अद्भुत सपने,
हमने जो आँखों में समां लिए,
तुम तो मेरे मीत प्रिये।
उजियाले का अधिकार लिए,
मिटा तम के आकर्षण प्रिये।
ढलते सूरज को दे आवाज़,
हर हार को निरस्त करके,
मुश्किलों में मुस्कान लिए,
तुम तो मेरे मीत प्रिये।
इस जीवन के गीतों के
स्वर नहीं आसान प्रिये,
जहां मिले स्वर हमारा
मधुर वही संगीत प्रिये।
चलते रहे अगर साथ यूं ही,
हर मुश्किल है आसान प्रिये,
तुम तो मेरे मीत प्रिये,
जीवन का संगीत प्रिये.
रविवार, 22 नवंबर 2009
कुछ बातें सवाल लिए
शुक्रवार, 20 नवंबर 2009
अदालत ....
कठघरे सा हर घर ,
अदालत तो नही ,
मगर होती पेशी ,
कानूनी कार्यवाही तो नही ,
दाव- पेंच कम नही
हर बात की गवाही भी ,
सबूतों के संग
शायद ,कही रह गई कमी
पारखी नज़र की ,
मिसाल कायम कर न सकी
तभी , सच्चाई की ।
यदि आलम रहा यही
मांगेंगे अपने होने का
सबूत आईने भी ।