शनिवार, 14 मार्च 2020

रक्खो न भेद कोई

ईश्वर हो या अल्लाह

वो कहता बस यही

मुझे न चाहिये कोई जमीन

और न इमारत बड़ी बड़ी

मैं तो हूँ कण -कण में

जीवन की हर धड़कन में

याद करोगे जिस जगह

मिलूंगा तुम्हें मै वही ,

नाम हमे चाहे जो दे दो

इबादत तो है एक ही

बाँट रहे हो क्यो मुझको

मै तो हूँ सबका ही ,

मै तो हूँ नेक इरादों में

मानवता की राहों में,

प्रेम की निर्मल भावो में

घनी धूप ,ठंडी छांवो में,

इंसानियत से बढ़कर

नहीं होता धर्म कोई ,

धर्म सभी होते है सच्चे

अहसास सभी होते है पक्के

वही इनायत बरसेगी

जहाँ होगा फर्क न कोई

मैंने तो नहीं सिखाया

तुम्हें करना भेद कभी ,

न कोई हिन्दू ,न कोई मुस्लिम

है केवल यहां इंसान सभी  ।

मंगलवार, 10 मार्च 2020

एक छोटी सी लड़की -दो रूप --पहला

एक छोटी सी लड़की कब

नासमझ से समझदार हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

लापरवाह से जिम्मेदार हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

खुले आकाश में उड़ते -उड़ते पिंजरे में बंद हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

यहाँ लड़को से कम हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

दुनिया की भीड़ में गुम हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

चहकते-चहकते गुमसुम हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

खुद से ही पराई हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

औरों के मन की हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

अक्लमंद से बेअक्ल हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

खुशियों से दूर हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

इतनी मजबूर हो गई ।

..........
      एक छोटी सी लड़की --दो रूप ---दूसरा

एक छोटी सी लड़की कब

प्यारी से बेचारी हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

दुआओं से निकलकर बद्दुआ हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

निर्भयता छोड़ भय में गिरफ्तार हो गई

एक छोटी सी लडक़ी कब

जीते जी जिंदा लाश हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

जीवन से निराश हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

देवी से  दरिंदों  की शिकार हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

जवाब नहीं सवाल हो गई

एक छोटी सी लड़की कब ।

फूलों को छोड़ कांटों की सहेली हो गई

एक छोटी सी लड़की कब

अनसुलझी सी पहेली हो गई

एक छोटी सी लड़की ही

जान नहीं  पाई

वो  कब

छोटी  नही  बड़ी  हो गई  ।

शनिवार, 7 मार्च 2020

नारी तुझसे ये संसार

नारी दुर्गा का अवतार
शक्ति जिसमें असीम अपार ,

नारी शारदा स्वरूप
बहाये प्रेम दया की धार ,

नारी लक्ष्मी का ले अवतार
चलाये संयम से घर संसार ,

हे जगजननी कष्ट निवारिणी
हाथ तेरे अन्नपूर्णा का भंडार ,

त्रिशक्ति को करके धारण
करती जगत का ये उद्धार ,

ममतामयी करुणामयी,क्षमाधात्री
तेरी महिमा का नही पार ,

जहां होता है नारी का सम्मान
भगवान भी आते है उसी द्वार ,

बिन नारी घर भूत का डेरा
नारी से ही सुशोभित है घर -संसार ,

फिर भी इस पर अन्यायों का
क्यो होता रहता है प्रहार ,

जो हारी इसकी उम्मीदे
समझो ये है हमारी हार ,

जो हारी इसकी उम्मीदे
समझो ये है विश्व की हार ।

सभी साथियों को महिला दिवस की अनंत शुभकामनाएं