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ब्लोगिंग का एक साल
कल भी ,कभी कल हो जाएगा
अपने कदमो के निशां छोड़ जाएगा ।
एक अद्भुत और अनोखी दुनिया ,जो मेरी कल्पना से बहुत परे रही ,जो एक सौगात स्वरुप मुझे मिली । इस जगत से जोड़ने का श्रेय मेरी परम मित्र वंदना अवस्थी दुबे को जाता ,जिसने स्नेह एवं अधिकार के साथ इस जहां में मेरी जगह बनाई ,जहाँ मुझे अच्छे -अच्छे मित्र मिले ,तथा उनके बीच मेरी पहचान भी कायम हुई ।
इस खुशबू भरे गुलिस्ता में जीवन महक उठा । इस जादू भरे पिटारे को जितनी बार खोली ,उतनी दफे ही कुछ नया कुछ अनमोल खज़ाना पाया ,जो इस जीवन को सार्थक करता रहा ,इसका हौसला बढ़ाता रहा ।
कुछ लोग हमेशा मेरे हित में अपनी सलाह देते रहे ,इस अपनेपन से मुझे बेहद ख़ुशी होती रही ,कुछ ब्लोगर बन्धु मेरी तबियत की फ़िक्र लिए बराबर हालचाल पूछते रहे ,आखिर यहाँ कोई ना उम्मीद कैसे हो सकता है जहाँ अपनत्व व स्नेह का दरिया है । कुछ साथी बराबर साथ बने रहे उनकी मैं आभारी हूँ और हार्दिक रूप से धन्यवाद करती हूँ ।
सबसे ज्यादा वंदना अवस्थी दुबे का शुक्रियां करती हूँ जिसका ये अहसान किसी कीमत पर नही उतारा जा सकता ,उसके बगैर ये असंभव रहा ,वो न होती तो मैं आज आप सभी के बीच नही होती ,वो गुणी तो है ही साथ में एक बेहतर इंसान भी है ,मेरा ये सौभाग्य है कि वो मेरी अजीज़ मित्र ,राजदार ,सलाहकार और पड़ोसी है ,ये वजूद मेरा जिन्दा उसकी वज़ह से है ,इसलिए उसके आभार को प्रगट करने के लिए मेरे पास शब्द नही सिर्फ अहसानमंद हूँ ।
शायद कुछ फैसले तकदीर हमारे लिए पहले ही तय कर देती है मगर इल्म इसका नही होने देती ,इंसान का इंसान पे एतबार बना रहा ,नेकी से नाता न टूटे इस खातिर जरिया भी इंसान को ही बनाती है ,इसी वजह से मानवता कायम है ,इतने संघर्षो के बावजूद भी ।
और ब्लॉग जगत भी एक ऐसा ही आधार है या यूं कहे शायद इसी कारण से इसे बनाया गया जहाँ व्यक्ति एक दूसरे की भावनाओ को समझे एवं मन को हल्का कर सके ।
भारी व्यस्तता में भी लोग आपस में खोज खबर लेते रहते है और दर्द को सँभालते है । जिससे इंसानियत से अटूट रिश्ता बन पड़ता है ।
एक वर्ष पूरे होने पर मैं अपने इस अद्भुत अहसास के लिए आप सब की आभारी हूँ ,इस सफ़र में बराबर सहयोग व साथ बनाये रखने के लिए एक दफे फिर से धन्यवाद ।
जगमगाती ज्योति हरदम ज्यो की त्यों कायम रहे
हर पल आशाओ के दीप सब दिल में रौशन रहे ।
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यह उज्जवल गंगा की धार
करे नैनो का सपना साकार ।