मंगलवार, 29 मार्च 2011

ओस ...



ओस की एक बूँद

नन्ही सी

चमकती हुई

अस्थाई क्षणिक

रात भर की मेहमान ___

जो सूरज के

आने की प्रतीक्षा

कतई नही करती ,

चाँद से रूकने की

जिद्द करती है ,

क्योंकि

दूधिया रात मे

उसका वजूद जिन्दा

रहता है ,

सूरज की तपिश

उसके अस्तित्व को

जला देती है ।

मंगलवार, 22 मार्च 2011

मनुष्य जीवन ......


जीवन की अवधि

और दुर्दशा

चीटी की भांति

होती जा रही है ,

कब मसल जाये

कब कुचल जाये ,

कब बीच कतार से

अलग होकर

अपनो से जुदा हो जाये

भयभीत हूँ

सहमी हूँ

मनुष्य जीवन आखिर

अभिशप्त क्यों हो रहा ?

कही हमारे कोसने का

दुष्परिणाम तो नही

या कर्मो का फल ?

सोमवार, 14 मार्च 2011

कथा सार


कितने सुलझे

फिर भी उलझे ,

जीवन के पन्नो में

शब्दों जैसे बिखरे ।

जोड़ रहे जज्बातों को

तोड़ रहे संवेदनाएं ,

अपनी कथा का सार

हम ही नही खोज पाये ।

पहले पृष्ठ की भूमिका में

बंधे हुए है , अब भी ,

अंत का हल लिए हुए

आधे में है अटके ।

और तलाश में भटक रहे

अंत भला हो जाये ,

लगे हुए पुरजोर प्रयत्न में

यह कथा मोड़ पे लाये ।

मंगलवार, 8 मार्च 2011

एक दूजे का साथ जरूरी है ........


महिलाओ को एक दूजे का
साथ जरूरी है
,

हक -सम्मान का आपस में
लेन -देन जरूरी है ।

तभी मिटेगी किस्मत की
अँधेरी तस्वीर ,

धो देगा मन के सभी मैल
संगम धारा का नीर ।

फूट पड़ेगी धारा
प्रीत की रीत से ,

बदल देगी हर तस्वीर
संगठन की जीत से ।

हर राह सुलभ हो जायेगी
एकता की जंजीर से ,

अरमानो के फूल खिलेंगे
सुखे हुए हर पेड़ से ।

नारी से बेहतर नारी को
कौन समझ पायेगा

मिल जायेगी जहां ये शक्तियां
फिर कौन हरा पायेगा ?
............................................
महिला दिवस की सबको बधाई इन पंक्तियों के साथ
एक पल ठहरे जहां जग हो अभय
खोज करती हूँ उसी आधार की ।

बुधवार, 2 मार्च 2011

शिकवा


उम्र गुज़र जाती है सबकी

लिए एक ही बात ,

सबको देते जाते है हम

आँचल भर सौगात ,

फिर भी खाली होता है

क्यो अपने में आज ?

रिक्त रहा जीवन का पन्ना

जाने क्या है राज ?

रहस्य भरा कैसा अद्भुत

होता है , क्यो अहसास ?

रोमांचक किस्से सा अनुभव

इस लेन-देन के साथ ,

गिले -शिकवे की अपूर्णता पे ,

घिरा रहा मन हर बार .