औरत
औरत वो सवाल है वो जवाब है वो खूबसूरत सा खयाल है , वो आज है वो कल है हर समस्याओ का हल है , वो सहेली है वो पहेली है दुनिया की भीड़ में अकेली है । वो मोती है वो ज्योति है वो इस सृष्टि में अनोखी है । वो दर्द है वो मुस्कान है सुख-दुख में एक समान है । वो सांसो का बंधन है वो रिश्तों का संगम है । वो खुशबू है चंदन की वो रौनक है आंगन की । मत समझो केवल 'निर्भया' उसे पड़ी जरूरत तो वो अभया है ।