शनिवार, 31 अगस्त 2019

दर्द

आहिस्ता - आहिस्ता

दर्द घर में

पैर जमाता रहा _

और कुछ हल्की

कुछ गहरी छाप

अपनी शक्ल की

छोड़ता रहा ।

हम इसकी आमद से

घबराते रहे ,

ये अपना राज

फैलाता रहा ।



शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

क्या.............?

 

क्या .......?





क्या  कहा  जाये 


क्या  सुना  जाये 


इस  क्या  से  आगे  


यहाँ  कैसे  बढ़ा  जाये


समझ  आता  नहीं  ,


क्योंकि  ये  दुनिया  अब  


पहले  जैसे  सीधी  रही  नहीं  ,


तभी  आसान  बात  भी 


मुश्किल  नज़र  आती  है  ,


किसी  से  कहे  कुछ 


उसे  समझ  कुछ 


और  आती  है  । 


शायद  इसलिए  ज़िन्दगी  अब ,


लम्हों  में  बिखर  जाती  है  । 


जिंदगी यूँ  ही कतरा -कतरा 


गुजारी जाती है ।

- ज़िन्दगी यूँ ही कतरा कतरा गुजार

- ज़िन्दगी यूँ

गुरुवार, 29 अगस्त 2019

होकर भी साथ नहीं

ख्वाब  वही  

ख्वाहिश  वही 

अल्फाज  वही  

ज़ुबां  वही  ,

फिर  रास्ते  कैसे  

जुदा  है  सफ़र  के  ,



कदम  साथ  अपने 

दे  रहे  क्यों  नहीं  ।

कही  तो  कुछ  

खलिश  है  मन में 

जो दिल चाहकर  भी 

मिल  रहा  नहीं  । 

बुधवार, 28 अगस्त 2019

नामुमकिन को मुमकिन करना

सबके वश का काम नहीं,

हुई सफलता उसी को हासिल

हार भी जिसके लिए हार नही ।

....................
अच्छा हुआ तो प्यार में

बुरा हुआ तो प्यार में,

फिर भी प्यार ,प्यार ही रहा

चाहे जो हुआ हो प्यार में ।

सोमवार, 12 अगस्त 2019

पतवार

शीर्षक   ---पतवार
.................
उम्र गुजर जाती है सबकी

लिए एक ही बात ,

सबको देते जाते है हम

आँचल भर सौगात ,

फिर भी खाली होता है

क्यों अपने मे आज ?

रिक्त रहा जीवन का पन्ना

जाने क्या है राज  ?

बात बड़ी मामूली सी है

पर करती खड़ा फसाद ,

करके संबंधों को विच्छेदित

है बीच में उठाती दीवार ।

सवालों में उलझा हुआ

ये मानव संसार

गिले - शिकवे की अपूर्णता पर

घिरा रहा मन हर बार ।

रहस्य भरा कैसा अद्भुत

है मन का ये अहसास ,

रोमांचक किस्से सा अनुभव

इस लेन- देन के साथ ,

जीवन की नदियां  मे

चल रही है पतवार ,

कभी मिल गया किनारा

कभी  डूबे  बीच मझधार ।
. ....  ..................
ज्योति सिंह