
हर मजहब से यहाँ मोहब्बत निभाते देखा
हर दिलो में यहाँ हिन्दुस्तान मुस्कुराते देखा ।
एक तिरंगा लहराता है सबके दिलो में
भेदभाव से हो जुदा हिन्दुस्तान पलते देखा ।
'मिले सुर मेरा तुम्हारा ,तो सुर बने हमारा '
यही गीत तो जुबां-जुबां पे गुनगुनाते देखा ।
'सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा '
हर दिलो में अहसास यही गूंजते देखा ।
'परहित सरस धर्म नहीं भाई '
मानवता से बढ़कर रिश्ता नहीं देखा ।
की इबादत हमने अक्सर यहाँ इंसानियत की
'जय हिंद 'के नारे में नफरत मिटाते देखा ।
हर दिलो में ही ईमान जगमगाते देखा
कदम -कदम पर हिन्दुस्तान मुस्कुराते देखा ।
है हल्की सी बस एक धुंध ही यहाँ
धूप के आते ही कोहरा छटते देखा ।
है आकाश सारा और धरती जिसकी
सारे जहां में दूजा हिन्दुस्तान नहीं देखा ।